मैं हूं न प्रिये




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🙏🙏 मैं हूं न प्रिये🙏🙏

छंट  गई दुःख की बदली सहजतम प्रिए।
जब कहा तू  ने कि मैं हूं ना प्रिए।

वो झुलसती दुपहरी हुईं शबनमी।
जब वो गूंजी सदा मैं हूं न प्रिए।

हर एक लम्हा महक से सुवासित हुआ।
जब कली मुस्कराई की मैं हूं ना प्रिए।

मौन मनुहार से ही मचलने लगा।
मृग नयन सी जो बोली कि मैं हूं न प्रिए।

रात भर बंद भौरा फिर जी ही उठा।
जब कहा फूल ने मैं हूं ना प्रिए।

टूटा तारा भी फिर से मिलन को चला।
जब गगन ने कहा मै हूं ना प्रिये।

सूखते वो सरोवर हुए बावरे।
निर्झरो ने कहा जब मैं हूं ना प्रिए।

वो पतंगा भी फिर से प्रणय को चला।
जब कहा लौ ने मैं हूं ना प्रिए।

और पपीहा पीहू पीहू करने लगा।
जब नखत स्वाती ने कहा  मैं हूं ना प्रिए।

फूल सारे चमन के विहंस से उठे।
ऋतुराज ने कहा जब कि मैं हूं ना प्रिए।

हैरां हर एक चुभन बन गई अंजुमन।
जब कहा प्यार ने कि मैं हूं ना प्रिए।


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नरसिंह हैरान जौनपुरी मुंबई

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13 Comments

Shnaya

28-May-2022 12:48 PM

बेहतरीन

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Reyaan

28-May-2022 12:02 AM

बहुत खूब

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Chirag chirag

27-May-2022 05:24 PM

Nice

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